प्रवाल पंचामृत रस के फायदे, कैसे बनता है,इसके घटक क्या है 2022 | praval panchamrit ras benefits in hindi

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प्रवाल पंचामृत क्या है ?

जैसा की नाम से मालूम होता है | पंचामृत अर्थात पाँच औषधियों का मिश्रण होता है | इसलिए इसे पंचामृत रस के नाम से जाना जाता है | इसके सेवन से पेट फूलना ,वात ,पित्त ,और कफ रोग  दूर होती है | इसका यकृत और प्लीहा के कार्यो पर खास प्रभाव पड़ता है | यह क्षारीय और शीतवर्धक होता है | इससे खाँसी और डकार आना दूर हो जाता है | 

प्रवाल पंचामृत के घटक क्या है | praval panchamrit ras ingredients 

  • प्रवाल पिष्टी या भस्म 
  • मोती पिष्टी या भस्म 
  • शंख भस्म 
  • मुक्ता शुक्ति भस्म या पिष्टी 
  • कौड़ी भस्म 
  • आक का दूध 

प्रवाल पंचामृत रस बनाने की विधि | 

इसको बनाने के लिए जितने घटक द्रव्य दिए है | सबको अच्छी तरह उचित मात्रा में मिला ले | प्रवाल पिष्टी 2 तोला ,मोती पिष्टी ,शंख भस्म ,मुक्ता शुक्ति भस्म ,कौड़ी भस्म प्रत्येक को 1 -1 तोला लेकर सबको अच्छी तरह से मिला ले | अब इन सबके बराबर 5 तोला आक का दूध डालकर अच्छी तरह से घोटकर गोला बना ले ,अब इसे सराबसंपुट में बंद करके गजपुट में फूक दे | स्वांग शीतल होने पर उसमे भस्म निकालकर ,पीसकर सुरक्षित रख ले | 

Note -1 तोला =11. 66 ग्राम 

प्रवाल पंचामृत के गुण और उपयोग | 

यह पित्ताशय ,यकृत और प्लीहा में बहुत अच्छा काम करता है | कफ और पित्त से सम्बंधित रोगों में इसका उपयोग बहुत अधिक किया जाता है | इस रसायन के सेवन से गुल्म ,प्लीहा ,उदर रोग ,खाँसी ,कफ और वातज रोग अजीर्ण ,डकार ज्यादा आना ,हृदयरोग ,मूत्र -दोष ,और पथरी रोग दूर होते है | सभी प्रकार के गुल्म रोगों में विषेशतः रक्तगुल्म में यह बहुत गुणकारी महाऔषधि है | गुल्म कुठार रस या गुल्म कालानल रस ,कंकायन बटी आदि के साथ इसका प्रयोग करना चाहिए | 

यह पित्त के विकारों को ठीक करता है और उसकी विकृति से उत्पन्न होने वाले उपद्रवों ,गले में जलन ,जलन के साथ दस्त होना ,ऑव से पैदा हुई संग्रहणी आदि को ठीक करता है | इसके सेवन से ह्रदय और मस्तिष्क को बल मिलता और फुस्फुस में रुके हुए दोष दूर हो जाते है | 

जहा कही कम ज्वर के साथ खाँसी हो अथवा किसी भी प्रकार के उपद्रव न होते हुए भी शरीर दिन -प्रतिदिन दुर्बल हो रहा हो ,ऐसी अवस्था में यह रसायन बहुत फायदा करता है | ज्वर बराबर रहता हो ,साथ में पसली में दर्द रहता हो तो प्रवाल पंचामृत रस का सेवन बहुत उपयोगी माना जाता है | अधिक ज्वर रहना ,खाँसी भी अधिक होना ,कफ दुर्गन्धयुक्त निकलना ,पसीना ज्यादा आना ,विशेषतः प्रातः काल में पसीना आना ,प्यास ज्यादा ,कमजोरी आदि लक्षणों में गुडूची सत्व 1 रत्ती ,सुवर्ण भस्म 1 /4 रत्ती के साथ इस रसायन का सेवन करना चाहिए | प्रसव के बाद स्त्रियों की दुर्बलता दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है | 

पाचक पित्त की विकृति के कारण पाचनक्रिया सही ढंग से नहीं होती है | जिससे कच्ची डकारे आने लगती है | पेट फुला हुआ और भारी मालूम पड़ता है | पेट में मंद -मंद दर्द होना ,शरीर में आलस ,किसी भी काम में मन न लगना आदि लक्षण होने पर प्रवाल पंचामृत का सेवन बहुत गुणकारी है | 

Note -1 रत्ती =121. 50 मिलीग्राम 

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प्रवाल पंचामृत रस के फायदे | praval panchamrit ras benefits in hindi 

  • इसके सेवन से पित्ताशय ,यकृत और प्लीहा रोग ठीक होते है | 
  • यह पेशाब की जलन को ठीक करता है | 
  • जिसको अधिक पसीना आता है इसके सेवन से लाभ होता है | 
  • श्वास और खाँसी को ठीक करता है | 
  • कच्ची डकार और ह्रदय रोग में लाभकारी | 
  • यह पाचन क्रिया सही करता है और आलस नहीं होने देता है | 
  • उदर रोग में लाभकारी | 

प्रवाल पंचामृत रस सेवन विधि | 

1 से 2 रत्ती सुबह -शाम | गुल्म और उदर रोगों में पुनर्नवा क्वाथ के साथ दे | पित्त प्रधान रोग में सितोपलादि चूर्ण और मधु अथवा गुलकंद अथवा मुरब्बा के साथ दे | 

Note -1 रत्ती =121 . 50 मिलीग्राम 

Note -डॉक्टर के अनुसार दवा का प्रयोग करे | 

प्रवाल पंचामृत रस के नुकसान | 

वैसे इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है ,लेकिन डॉक्टर के परामर्श से ही दवा का प्रयोग करे | 

 

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