वसीयत के नियम क्या होते है 2021| वसीयत कैसे लिखे | वसीयत और विरासत में क्या अन्तर है | wasiyat rules in hindi

wasiyat rules in hindi | वसीयत के नियम क्या होते है | वसीयत कैसे लिखे | वसीयत और विरासत में क्या अन्तर है | ऑनलाइन वसीयत रजिस्ट्रेशन | क्या पुस्तैनी जमीन की वसीयत की जा सकती है | मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता | पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति वितरण | भारत में एक वसीयत को चुनौती देने के लिए सीमा अवधि 

वसीयतनामा का अर्थ क्या है | vasiyatnama kya hota hai 

यह संवैधानिक रूप से तैयार किया गया एक दस्तावेज होता है | जिसमें एक या एक से अधिक व्यक्तियों के नाम को जोड़ा जाता है | जब कोई जीवित व्यक्ति अपनी संपत्ति (चल और अचल )को अपनी इच्छा से अपनी मृत्यु के बाद किसे प्राप्त होगी इसका एक लिखित कानूनी दस्तावेज तैयार करा लेता है ,उसे वसीयतनामा कहते है | 

इसमें व्यक्ति की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है कि वह अपनी संपत्ति किसे देना चाहता है | 

वसीयत पर जिसका नाम रख दिया जाता है | वसीयत कराने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद वह उस प्रॉपर्टी का उत्तराधिकारी हो जाता है | 

Note –वसीयत को इच्छापत्र के नाम से भी जाना जाता है | 

संपत्ति कितने प्रकार का होता है | 

संपत्ति दो प्रकार का होता है | 

  • चल संपत्ति जैसे रूपया ,पैसा आदि | 
  • अचल संपत्ति जैसे घर ,मकान आदि | 

किसी के पास संपत्ति कितने प्रकार से प्राप्त होती है | 

संपत्ति किसी के पास दो प्रकार से प्राप्त होती है | 

  • वह स्वयं अर्जित किया हो | 
  • उसे वसीयत या वरासत में प्राप्त हुई हो | 

Note –आज हम यही देखेंगे कि वसीयत या वरासत से संपत्ति किस प्रकार प्राप्त होती है | 

वसीयत के नियम क्या है | wasiyat rules in hindi 

वसीयत के नियम को नीचे बताया गया है | 

  • व्यक्ति अपने पुत्र ,पुत्री या औरत या किसी और को वसीयत के तहत केवल स्वयं की अर्जित की हुई संपत्ति ही दे सकता है | पूर्वजो से प्राप्त संपत्ति को नहीं | 
  • वसीयत को बदला भी जा सकता है ,अगर कोई व्यक्ति एक बार वसीयत करवाये और बाद में उसे लगे की वसीयत में कुछ कमिया है या अब किसी और के नाम करना है तो वह व्यक्ति नयी वसीयत बना सकता है | ऐसा वह कई बार कर सकता है | 
  • लेकिन उसकी मृत्यु के बाद वसीयत में बदलाव आसानी से नहीं होता है | कुछ विशेष परिस्थिति में ही बदलाव किया जा सकता है | यदि न्यायालय में यह साबित हो जाय कि वसीयतकर्ता की दिमागी हालत उस समय ठीक नहीं था या उसने दबाव में आकर वसीयत की थी | 

वसीयत और विरासत में क्या अंतर है | 

जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति का बिना वसीयतनामा किये ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है ,तब उसकी संपत्ति का वरासत होता है अर्थात वसीयत व्यक्ति के मृत्यु के पहले की जाती है जबकि वरासत मृत्यु के बाद किया जाता है | 

Note –वरासत में मृतक भूमिधर के वंशजो या उनसे सम्बंधित रिश्तेदार को ही संपत्ति प्राप्त होती है | अन्य को नहीं | 

Note –वरासत में चूंकि भूमिधर जीवित नहीं रहता इसलिए उसकी सभी संपत्ति (चल ,अचल ,स्वयं की अर्जित ,पूर्वजों से प्राप्त ,सरकारी अनुदान जैसे पट्टा की जमीन )का वरासत किया जाता है | 

इसे भी पढ़े -भारत में जमीन की माप तोल के लिए मात्रक इकाइयां क्या होती है |

वसीयत कैसे लिखे | 

  • अगर आपकी आयु 18 वर्ष से अधिक है | और आप प्रॉपर्टी के स्वयं मालिक है तो निश्चित रूप से आप वसीयत अपने उत्तराधिकार को कर सकते है | 
  • वसीयत करने से पहले एक उत्तराधिकारियों की एक सूची बना लेनी चाहिए ,जिसे आप वसीयत करना चाहते है | 
  • किस उत्तराधिकारी को कितना संपत्ति का अंश देना चाहते है | इसका निर्धारण अवश्य कर लेना चाहिए | 
  • वसीयत को साधारण पेपर पर भी लिखा जा सकता है और स्टाम्प पेपर पर भी लिखा जा सकता है | 
  • वसीयत को लिखने के बाद उसे टाइप करा लेनी चाहिए | 
  • वसीयत को लिखते समय स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए | 
  • वसीयतकर्ता को प्रत्येक पेज पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होता है | 
  • वसीयत बनाते समय दो लोगो का गवाह अवश्य रूप से लेना चाहिए | 
  • वसीयत को रजिस्ट्री या नोटरी कराना आवश्यक नहीं होता लेकिन भविष्य में झगड़े से बचने के लिए नोटरी अवश्य करा लेनी चाहिए | 

ऑनलाइन वसीयत रजिस्ट्रेशन

आज के समय में वसीयत बहुत ही आसानी से आप करा सकते है | इसके लिए आप सब -रजिस्ट्रार ऑफिस में जा सकते है | या फिर नोटरी के सामने रजिस्ट्रेशन कर सकते है | 

लेकिन आपको सब -रजिस्ट्रार के पास जाकर ही पंजीकरण करवाना चाहिए | इससे यह फायदा होता है कि यदि आपका मूल वसीयत खो गया है | तो सब -रजिस्ट्रार में जाकर दूसरा निकलवा सकते है | 

रजिस्टर्ड वसीयत के लाभ 

आज के समय में असली व नकली वसीयत को साबित करना बहुत ही आसान है ,क्योंकि जो भी व्यक्ति सब -रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर वसीयत को रजिस्टर करता है | उसकी वहा पर मानसिक हालत और स्वास्थ्य को देखा जाता है | तथा वसीयत पर फोटो प्रिंट की छाप होती है | जिससे वह कही भी गवाह के तौर पर साबित कर सकता है | उसके वसीयत से छेड़छाड़ नहीं हो सकती है | 

वसीयत रजिस्ट्रेशन फीस 

वसीयत के रजिस्ट्रेशन में ज्यादा खर्च नहीं लगता है | यह अलग -अलग राज्यों में लागू हो सकता है | हालांकि एक हिसाब से 500 से 1000 खर्च होता है | 

मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता 

अगर कोई मृत व्यक्ति अपने जीवन के समय में जो भी घोषणाएँ कर देता है | वही उसके मृत्यु के बाद भी लागू होती है | और यह अनंत समय तक लागू होती है | 

लेकिन वसीयत की वैधता की बात करे तो वसीयतकर्ता के मृत्यु के 12 वर्षो के अंदर चुनौती दी जा सकती है | 

 

 

 

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