vasant kusumakar ras uses in hindi | vasant kusumakar ras benefits in hindi | वसंत कुसुमाकर रस के फायदे | वसंत कुसुमाकर रस के नुकसान | बसंत कुसुमाकर रस
यह एक ऐसी औषधि है | जिसे आयुर्वेद में लाजवाब के रूप में जाना जाता है | अगर बात आती है ,मर्दाना कमजोरी ,नामर्दानगी की तो vasant kusumakar ras सबसे पहले ज्ञात किया जाता है |
इसमें प्रवाल भस्म ,अभ्रक भस्म ,और स्वर्ण भस्म मिले होने के कारण यह बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है | इसके नाम से ही पता चलता है | वसंत अर्थाथ मौसम कुसुमाकर मतलब पौधा | मतलब वसंत ऋतु में खिलने वाला पौधा | इसके सेवन से शरीर ऊर्जावान होने लगता है | बलपौरुष बढ़ जाता है | यह मधुमेह रोग के लिए भी बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है | अधिक जानकरी के लिए पुरा आर्टिकल ध्यान से पढ़े |
वसंत कुसुमाकर रस के संघटक क्या है | vasant kusumakar ras ingredients
- प्रवाल भस्म
- रस सिंदूर
- मोती भस्म
- लौह भस्म
- बंग भस्म
- हल्दी का रस
- कमल के फूलो का रस
- मालती के फूलों का रस
- शतावरी का रस
- केले के कन्द का रस
- चन्दन -क्वाथ
- अभ्रक भस्म
- चाँदी भस्म
- सुवर्ण भस्म
- नाग भस्म
- अडूसे की पत्ती
- गन्ने का रस
वसंत कुसुमाकर रस को बनाने की विधी |
इसको बनाने के लिए सबसे पहले प्रवाल पिष्टी ,रस सिंदूर ,मोती भस्म ,अभ्रक भस्म ,प्रत्येक 4 -4 तोला ,चाँदी भस्म ,सुवर्ण भस्म ,2 -2 तोला ,लौह भस्म ,नाग भस्म और बंग भस्म प्रत्येक 3 -3 तोला लेकर सबको पत्थर के खरल में डालकर अडूसे की पत्ती का रस ,हल्दी का रस ,गन्ने का रस ,कमल के फूलों का रस ,मालती के फूलों का रस ,शतावरी का रस ,केले के कन्द का रस और चन्दन भिगोया हुआ जल या चन्दन क्वाथ प्रत्येक की सात -सात भावना दे |
प्रत्येक भावना में 3 -6 घंटा मर्दन करना चाहिए | अंत के भावना के समय उसमे 2 तोला अच्छी कस्तूरी मिला ,3 घंटा मर्दन कर 1 -1 रत्ती की गोलियाँ बना ,छाया में सूखा ले |
इस योग में 2 तोला अम्बर भी मिला दे ,तो यह विशेष गुणकारी होता है |
Note – 1 तोला =11 . 66 ग्राम
1 रत्ती =121. 50 मिलीग्राम
वसंत कुसुमाकर रस के गुण और उपयोग | vasant kusumakar ras uses in hindi
यह बलवर्धक ,उत्तेजक ,वाजीकरण रसायन है | स्वर्ण ,मोती ,अभ्रक ,रस सिंदूर आदि बलवर्धक द्रव्यों के संयोग से बनने के कारण यह सभी रोगों के लिए बहुत फायदेमंद है | स्त्री -पुरुषो के जननेन्द्रिय सम्बन्धी विकारो पर इसका बहुत अच्छा और तात्कालिक प्रभाव पड़ता है | मधुमेह ,बहुमूत्र और हर तरह के प्रमेह नामर्दी ,सोमरोग ,श्वेतप्रदर ,योनि तथा गर्भाशय की खराबी वीर्य का पतला होना या गिरना व वीर्य सम्बन्धी शिकायतो को जल्दी दूर कर शरीर में नयी स्फूर्ति पैदा करता है |
वीर्य की कमी से होने वाले रोगो में यह प्रयोग करता है | यह भ्रम यादाश्त की कमी ,नींद न आना आदि विकारो को दूर करता है |
पुराने रक्तपित्त ,कफ ,खाँसी ,स्वास ,संग्रहणी ,क्षय ,रक्तप्रदर ,श्वेतप्रदर ,खून की कमी ,और बुढ़ापे तथा रोग छूटने के बाद की कमजोरी में इस रसायन का प्रयोग बहुत लाभदायक है |
मधुमेह रोगी इसे प्रयोग करते है |
छोटी आयु में हस्तमैथुन ,गुदामैथुन आदि से वीर्य नाश करने से वीर्य पतला हो जाता है ,ऐसे मनुष्य का स्त्री -विषयक चिंता करने मात्र से वीर्य पतन हो जाता है | ऐसी स्थिति में बसंत कुसुमाकर के सेवन से बहुत शीघ्र फायदा होता है ,क्योकि यह रसायन होने के कारण वीर्यवाहिनी शिरा तथा अण्डकोष में ताकत पहुंचाता है,जिससे वीर्यवाहिनी शिरा में वीर्य धारण करने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है |
पुराने नकसीर रोग में इसका उपयोग किया जाता है | किसी -किसी मनुष्य की आदत सी हो जाती है की अधिक गर्म पदार्थ के सेवन या धूप में विशेष चलने फिरने आदि से नाक फूटकर रक्त निकलने लगता है | इसे भाषा में नकसीर या नक्की छूटना कहते है |
इसमें भी इसको शर्बत ,अनार ,आँवला -मुरब्बा या गुलकंद के साथ देने से तुरंत लाभ होता है | जिस स्त्री को समय से ज्यादे दिन तक और अधिक मात्रा में रजः श्राव होता हो ,उसके लिए भी यह दवा बहुत उपयोगी है | शरीर में रक्त ज्यादा पतला हो जाने से ऐसा होता है |
ऐसी स्त्री को शरीर के किसी अंग में जरा सा कट जाने या खुर्ज जाने अथवा सुई आदि चुभ जाने से बहुत खून निकलता है ,जो बहुत देर में बंद होता है | ऐसी स्थिति में रक्त गाढ़ा करने के लिए वसंत कुसुमाकर का प्रवाल भस्म के साथ उपयोग करना लाभप्रद है |
बुढ़ापे में सब इन्द्रिया प्रायः शिथिल हो जाती है | किन्तु सबसे अधिक शरीर के आँतो में शिथिलता होने से यह अपने कार्य करने में असमर्थ हो जाती है ,जिससे पाचन -कार्य ठीक से नहीं हो पाता है |
इसका प्रभाव ह्रदय और फुसफुसियो पर विशेष पड़ता है | फिर कास और श्वास की उत्पत्ति होती है | यह वृद्धो के लिए बहुत भयंकर व्याधि है | इसमें वसंत कुसुमाकर का अभ्रक भस्म के साथ प्रयोग जादू सा असर करता हैं | इन्द्रियों की शक्ति बढ़ाने ,रस -रक्तादि धातुओं की वृद्धि कर ह्रदय मस्तिष्क को बल प्रदान करने ,शारीरिक कांति बढ़ाने ,शुक्र और ओज को बढ़ाकर स्वास्थ्य को स्थिर बनाने में यह रस परमोत्तम रसायन का कार्य करता है |
वसंत कुसुमाकर रस के फायदे | vasant kusumakar ras ke fayde | vasant kusumakar ras benefits in hindi
- शरीर को सुचारु रूप से काम करने के लिए मदद करता है |
- यह श्वेतप्रदर ,नामर्दी ,गर्भाशय की खराबी को सही करता है |
- मानसिक दुर्बलता में बहुत अधिक प्रयोग |
- यह ह्रदय और मस्तिष्क को बल प्रदान करता है |
- मधुमेह ,वीर्य का पतला होना ,गिरना व वीर्य -सम्बन्धी शिकायतों को जल्दी दूर कर शरीर में नयी स्फूर्ति पैदा करता है |
- यह जननेन्द्रिय सम्बन्धी विकारो में बहुत उपयोगी है |
- यह मस्तिष्क की निर्बलता ,यादाश्त की कमी ,नींद न आना आदि विकारो को दूर करता है |
- यह हस्तमैथुन ,गुदामैथुन ,से हुए वीर्यनाश को सही करता है |
- यह वीर्यवाहिनी शिरा तथा अंडकोष को ताकत पहुँचाता है |
वसंत कुसुमाकर रस सेवन विधि | vasant kusumakar ras dosage in hindi
1 -1 गोली ,सुबह -शाम नपुंसकता और वीर्य स्राव में दूध के साथ दे | मस्तिष्क के विकारो में आंवले के मुरब्बे रक्त -पित्त और रक्त -प्रदर में वासा -रस और मधु के साथ ,कास -स्वास और क्षय में चौसठ प्रहरी पीपल के साथ मधु मिलाकर दे लाभ होगा |
अम्लपित्त में कुष्मांड अवलेह के साथ ,ह्रदय रोग में अर्जुन छाल के क्वाथ से ,प्रमेह गुडुची स्वरस और मधु के साथ तथा मधुमेह में जामुन की गुठली का चूर्ण और शिलाजीत के साथ दे |
इसे पढ़े -सेब के सिरके के फायदे क्या है | रोगो से बचने के लिए इसे रोजाना प्रयोग करना चाहिए |
वसंत कुसुमाकर रस के नुकसान | vasant kusumakar ras side effects in hindi
- गर्भवती महिलाओं को देने से पहले डॉक्टर की राय ले |
- डॉक्टर के अनुसार ही दवा ले |
pharmaceutical company name
- baidyanath basant kusumakar ras
- dhootapapeshwar kusumakar ras
- unjha vasant kusumakar ras
- dabur vasant kusumakar ras
vasant kusumakar ras faq in hindi
Que -वसंत कुसुमाकर का सेवन कब करना चाहिए ?
Ans -इसका सेवन दिन ,में 2 बार करना चाहिए |
Que -वसंत कुसुमाकर का सेवन क्या अल्कोहल के साथ कर सकते है ?
Ans नहीं
Que -क्या इसे लेने के बाद गाड़ी चला सकते है ?
Ans -हाँ ,इसमें कोई नशीला पदार्थ नहीं मिला होता है |