रसराज किसे कहते है | रसराज रस धूतपापेश्वर | रसराज रस के नुकसान | रसराज रस की कीमत |rasraj ras used in hindi| rasraj ras patanjali | rasraj ras patanjali price | patanjali rasraj ras price | rasraj kis ras ko kaha jata hai | rasraj ras benefits | rasraj ras ingredients | dabur rasraj ras | rasraj ras baidyanath price | rasraj ras ke fayde
रसराज रस को आयुर्वेद में अमृत के समान माना जाता है | लोग आज के समय में अपने कामों में व्यस्त होने के कारण मानसिक तनाव ,उदासी ,बेचैनी ,क्रोध ,यादाश्त का कमजोर होना ,नाड़ीतंत्र में कमजोरी ,काम में मन न लगना ,मानसिक व्याकुलता आदि समस्याए उत्पन्न होती है |
जिसके लिए रसराज रस को प्रमुख औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है | कुछ लोगों में नाड़ी सम्बन्धी विकार होते है | जिसके लिए रसराज रस प्रयोग वरदान माना जाता है | इसके प्रयोग से वात ,पित्त ,और कफ संतुलित होते है | यह आयुर्वेद में बेस्ट रसायन के रूप में प्रयोग किया जाता है |
रसराज किसे कहते है | rasraj kis ras ko kaha jata hai
यह आयुर्वेदिक दवाओं में शक्तिदायक और त्रिदोषनाशक है | वात रोगों में यह विशेषतया ,पक्षाघात ,कान में आवाज होना ,बहिरापन ,सिर में चक्कर आना ,कठिन से कठिन रोगों में यह रामबाण की तरह से काम करता है | यह मांसपेशी विकारों और नसों के लिए बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है |
इस दवा की टेबलेट भी आती है | जिसे प्रयोग के रूप में लिया जाता है | अगर शरीर में खून की कमी है | ब्लड साफ नहीं है | इसके लिए रसराज रस बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है |
रसराज रस में कौन -कौन से पदार्थ मिले होते हैं | rasraj ras ingredients
- रससिंदूर
- अभ्रक भस्म
- सुवर्ण भस्म
- मोती पिष्टी
- प्रवाल भस्म
- लौह भस्म
- रौप्य भस्म
- बंग भस्म
- असगंध
- लौंग
- जावित्री
- जायफल
- काकोली
- ग्वारपाठा
- मकोय के रस
रसराज रस किस तरह से बनाते है | rasraj ras banane ki vidhi
इसको बनाने के लिए सबसे पहले रससिंदूर 4 तोला ,अभ्रक भस्म 1 तोला ,सुवर्ण भस्म ,मोती पिष्टी ,प्रवाल भस्म या पिष्टी 6 -6 माशे ,लौह भस्म ,रौप्यभस्म ,बंगभस्म ,असगंध ,लौंग ,जावित्री ,जायफल ,काकोली ,प्रत्येक को 3 -3 माशा ले |
सबसे पहले रससिंदूर को खूब महीन पीस कर उसमे अन्य भस्मे तथा वनस्पतियो का कपड़छन किया हुआ चूर्ण मिलाकर ,एक ग्वारपाठे और मकोय के रस में मिलाकर 2 -2 रत्ती की गोलियाँ बनाकर ,छाया में सुखाकर रख ले | और प्रयोग करे |
नोट –
1 तोला =11. 66 ग्राम
1 माशा =972. 00 मिलीग्राम
1 रत्ती =121. 50 मिलीग्राम
रसराज रस के गुण और उपयोग | rasraj ras used in hindi
यह आयुर्वेद में बहुत शक्तिशाली माना जाता है | इससे वात रोग ,पक्षाघात ,अपतन्त्रक ,कान में आवाज का बजना | कठिन से कठिन रोगों में यह बहुत लाभदायक होता है | रक्त को छानने के कारण यह ब्लडप्रेशर में भी अच्छा काम करता हैं |
यह ह्रदय और मस्तिष्क के विकारों तथा स्त्री पुरुषों की जननेन्द्रिय के रोगों और फुस्फुस की खराबी में भी इस रसायन से लाभ होता है | प्रमेह ,नपुंसकता ,और गुर्दे की कमजोरी को दूर करके यह नयी शक्ति पैदा कर देता हैं | अधिक विषय -भोग के कारण पैदा हुए सभी विकारों में इसका प्रयोग करना चाहिए |
ह्रदय को बलवान बनाकर बल -बुद्धि और कान्ति बढ़ाने के लिए यह एक अच्छी दवा है | पक्षाघात ,आदि रोगों में इस रसायन का विशेष उपयोग होता है | इन रोगों में वातवाहिनी नाड़ियो की विकृति होने से रक्त का संचार अच्छी तरह नहीं होता |
यह विकृति यदि सम्पूर्ण शरीर की नसों में व्याप्त हो जाती है | यदि शरीर के किसी एक भाग में नसे विकृत हो गई तो विकृत भाग क्रमशः शक्तिहीन व बेकार होने लगता है | यह विकार शरीर के किसी भी अंग में उत्पन्न हो सकता है | इस रोग में रसराज के प्रयोग से वातवाहिनी नाड़ियो के विकार का शमन हो जाता तथा रक्त का भी अच्छी तरह से संचार होने लगता हैं |
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रसराज रस के फायदे | rasraj ras ke fayde in hindi
- वीर्य -विकार से सम्बंधित रोगों में लाभ |
शरीर में वीर्य की कमी ,अधिक पतला हो जाना और वीर्य वाहिनी नाड़ियो की कमजोरी से वीर्य का जल्दी पतला हो जाना ,स्वप्नदोष हो जाना अथवा लड़कपन में हस्तमैथुन से शुक्र का नाश हो जाने से नपुंसकता हो गई हो तो रसराज का प्रयोग मक्ख़न ,मलाई ,मिश्री या दूध के साथ करने से बहुत जल्दी लाभ होता है | यह शुक्रवर्धक होने के कारण वीर्य बढ़ाकर शरीर को पुष्ट व वीर्य को गाढ़ा करता है | इसका प्रभाव वीर्यवाहिनी शिरा पर भी होता है |
अतएव उसकी कमजोरी दूर कर शुक्रधारण करने की शक्ति उत्पन्न करता है | मूत्रपिंड या वृक्क पर भी इसका प्रभाव होता है | वृद्धावस्था में शारीरिक अंगो में शिथिलता आ जाने से बार -बार पेशाब होने लगता है | युवा मनुष्यों को भी रसरक्तादि धातुओं की कमी की वजह से शरीर कमजोर होने पर उक्त शिकायत हो जाती है |
इस विकार को दूर करने के लिए रसराज रस का उपयोग किया जाता है | यह पाचन क्रिया को सुधारकर आग को शांत करता है ,जिससे अन्न का पाचन ठीक ढंग से होता है | फिर रसरक्तादि धातु भी अच्छी तरह से बनने लगता है और धीरे -धीरे रोगी भी पुष्ट हो जाता है |
इसी तरह वृद्धो के लिए भी यह शरीर में शक्ति पैदा कर मूत्रपिंड की शिथिलता दूर कर देता है और फिर पेशाब उचित परिणाम में होने लगता है |
- ब्लडप्रेशर में लाभ |
आजकल यह रोग बहुत देखने में आता है इस रोग से रोगी की आँखे तथा मुँह लाल बने रहते हैं | जब रक्त का प्रवाह ऊपर की तरफ चलता हैं | उस समय रोगी का चेहरा तमतमाया हुआ सा अर्थात मुखमण्डल लाल और कपाल में लाल -लाल नसे तनी रहती है | आँखे सुर्ख हो जाती है ,सिर में चक्कर आने लगता है ,रोगी का टेम्परेचर बढ़ जाता है ,प्यास ज्यादे लगने लगती है ,ठंडा पानी पीने पर कुछ समय के लिए शांति मिल जाती है ,परन्तु फिर पूर्ववत ही हो जाती है |
इसका प्रयोग मोती पिष्टी के साथ करना बहुत उपयोगी है |
- लकवा में प्रयोग से लाभ |
अगर किसी कारणवश मस्तिष्क की कोशिकाएं एक हो गई है | काम नहीं कर रही है | नाड़ी अवरुद्ध हो गई हैं | लकवा उत्पन्न हो गया है | तो इस रसायन का प्रयोग करना बहुत फायदेमंद होता हैं |
- अंगो को सुचारु रूप से चलाने में मदद |
जब हमारी उम्र बढ़ती जाती है | और अंग सही ढंग से काम नहीं करते है | ऐसे अवस्था में रसराज रस का प्रयोग उपयोगी होता है |
- अर्थराइटिस में प्रयोग |
आज के समय में घुटनों में दर्द की समस्या बहुत आम बात बन चुकी है | ऐसे में हम बहुत सारे पेनकिलर का प्रयोग करते है | लेकिन वह रोग को और बढ़ा देते हैं | ऐसे में रसराज का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है |
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रसराज रस मात्रा और अनुपान | rasraj ras dosages in hindi
1 -1 गोली सुबह -शाम शहद से चटा कर ऊपर से गाय का दूध पिलावे | अत्यधिक लाभ होगा |
नोट –डॉक्टर के अनुसार ही दवा प्रयोग करे |
रसराज रस के नुकसान | rasraj ras side effects in hindi
रसराज रस प्रयोग में पूर्णतः सुरक्षित माना गया है | लेकिन बिना डॉक्टर के इसे प्रयोग नहीं करना चाहिए |
rasraj ras faq in hindi
Que -क्या गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करना उचित है |
Ans -इसे गर्भवती महिला को देने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछताछ कर लेनी चाहिए |
Que -क्या इसका पेट पर कोई साइड इफ़ेक्ट पड़ता है |
Ans -नहीं
Que -क्या मदिरा शराब आदि सेवन करने वाले लोगों को इसका प्रयोग करना चाहिए |
Ans -नहीं