चन्द्रप्रभा वटी के फायदे2021 ,नुकसान ,उपयोग ,कैसे बनता है | chandraprabha vati ke fayde in hindi | chandraprabha vati uses hindi

चन्द्रप्रभा वटी के फायदे ,नुकसान ,उपयोग ,कैसे बनता है | chandraprabha vati ke fayde in hindi | chandraprabha vati uses hindi | chandraprabha vati hindi me

चन्द्रप्रभा वटी क्या है ?what is chandraprabha vati 

आयुर्वेदिक दवाओं में इसे बहुत ही गुणवत्तापूर्ण औषधि मानी जाती है | जैसा की आपको नाम से ही मालूम चल रहा होगा ,चंद्र अर्थात चन्द्रमा ,प्रभा मतलब चमक अर्थात चन्द्रमा जैसे चमक वाली औषधि | इसके सेवन से शरीर की आतंरिक क्षमता बहुत मजबूत हो जाती है | यह औषधि वीर्य -विकारो के लिए बहुत ही प्रसिद्ध मानी जाती है | यह बल को बढ़ाती है | और शरीर को मजबूती प्रदान करती है | इस दवा को अक्सर लोग मूत्रविकार और स्वपनदोष में बहुत प्रयोग करते है | यह गुर्दे के बीमारी में भी अच्छा काम करता है | अगर टट्टी और पेशाब के साथ वीर्य जा रहा है तो इस औषधि के सेवन से बहुत लाभ होता है | 

चन्द्रप्रभा वटी के घटक | chandraprabha vati ingredients 

इसके बहुत सारे घटक है जो नीचे दिए गये है | 

  • कपूरकचरी 
  • बच 
  • नागरमोथा 
  • चिरायता 
  • गिलोय 
  • देवदारु 
  • हल्दी 
  • अतीस 
  • दारुहल्दी 
  • पीपलामूल 
  • चित्रकमूल-छाल 
  • धनिया 
  • बड़ी हर्रे 
  • बहेड़ा 
  • आँवला 
  • चव्य 
  • वायविडंग 
  • गज पीपल 
  • छोटी पीपल 
  • सोंठ 
  • काली मिर्च 
  • स्वर्ण मक्षिक भस्म 
  • सज्जीखार 
  • यवक्षार 
  • सेंधा नमक 
  • सोंचर नमक 
  • साँभर लवण 
  • छोटी इलायची के बीज 
  • कबाबचीनी 
  • गोखरू 
  • श्वेतचन्दन 
  • निशोथ 
  • दंतीमूल 
  • तेजपात 
  • दालचीनी 
  • बड़ी इलायची 
  • बंशलोचन 
  • लौह भस्म 
  • मिश्री 
  • शुद्ध शिलाजीत 
  • शुद्ध गूगल 

चन्द्रप्रभा वटी बनाने का तरीका | chandraprabha vati banane ki vidhi 

इसको बहुत ही आसानी से आप बना सकते है | ऊपर जितने भी घटक द्रव्य दिए गए है | कपूरकचरी ,बच ,नागरमोथा ,चिरायता ,गिलोय ,देवदारु ,हल्दी ,अतीस ,दारुहल्दी ,पीपलामूल ,चित्रकमूल-छाल ,धनिया ,बड़ी हर्रे ,बहेड़ा ,आँवला ,चव्य ,वायविडंग ,गज पीपल ,छोटी पीपल ,सोंठ ,काली मिर्च ,स्वर्ण मक्षिक भस्म ,सज्जीखार ,यवक्षार ,सेंधा नमक ,सोंचर नमक ,सांभर लवण ,छोटी इलायची के बीज ,कबाबचीनी ,गोखरू और श्वेतचन्दन ,प्रत्येक को 3 -3 माशा लेकर ,निशोथ ,दंतीमूल ,तेजपात ,दालचीनी ,बड़ी इलायची ,बंशलोचन प्रत्येक 1 -1 तोला ,लौह भस्म 2 तोला ,मिश्री 4 तोला ,शुद्ध शिलाजीत और शुद्ध गुग्गुल 8 तोला लेकर | पहले गूगल को साफ करके लोहे के बर्तन में अच्छी तरह से कूट ले ,जब गूगल नरम हो जाय ,तब उसमे शिलाजीत और भस्मे तथा अन्य द्रव्यों का कपड़छन चूर्ण क्रमशः मिलाकर 3 दिन गिलोय के रस में अच्छी तरह से मिलाकर ,3 -3 रत्ती की गोलिया बनाकर रख ले | 

Note -1 तोला =11 . 66 ग्राम 

1 रत्ती =121 . 50 मिलीग्राम 

1 माशा =972 . 00 मिलीग्राम 

चन्द्रप्रभा वटी के गुण और उपयोग | chandraprabha vati uses hindi 

यह वटी मूत्रेन्द्रिय और वीर्य -विकारो के लिए सुप्रसिद्ध है | यह बल को बढ़ाती तथा शरीर का पोषण कर शरीर की कान्ति बढ़ाती है | 

प्रमेह और उनसे पैदा हुए उपद्रवों पर इसका धीरे धीरे स्थायी प्रभाव होता है | सूजाक ,आतशक आदि के कारण मूत्र और वीर्य में जो विकार पैदा होते हैं ,उन्हें यह नष्ट कर देती है | टट्टी -पेशाब के साथ वीर्य का गिरना ,बहुमूत्र ,श्वेतप्रदर ,वीर्य दोष ,मूत्राघात ,भगन्दर ,अण्डवृद्धि ,पाण्डु ,अर्श ,कटिशूल ,नेत्ररोग ,तथा स्त्री -पुरुष के जननेन्द्रिय के विकारो में चन्द्रप्रभा वटी से बहुत लाभ होता है | पेशाब में जाने वाला एल्ब्यूमिन इसमें जल्दी बन्द हो जाता है | पेशाब की जलन ,रुक -रुक कर देर में पेशाब होना ,पेशाब में चीनी आना (मधुमेह ),मूत्राशय की सूजन और लिंगेन्द्रिय की कमजोरी इससे ठीक हो जाती है | यह नवीन शुक्र -कीटों को उत्पन्न करती है और रक्ताणु का भी शोधन तथा निर्माण करती है | थके हुए नौजवानों को इसका सेवन अवश्य करना चाहिए | मूत्राशय में किसी भी प्रकार की विकृति होने से मूत्र दाहयुक्त होना ,पेशाब का रंग लाल ,पेडू में जलन ,पेशाब में दुर्गन्ध अधिक हो ,पेशाब में कभी -कभी शर्करा भी आने लगे ,ऐसी हालत में चन्द्रप्रभा वटी बहुत उत्तम कार्य करती है ,क्योकि इसका प्रभाव मूत्राशय में विशेष होने से वहा की विकृति दूर होकर पेशाब साफ तथा जलनरहित आने लगता है | वृक्क की विकृति होने पर मूत्र की उत्पत्ति बहुत कम होती है ,जिससे मूत्राघात -सम्बन्धी भयंकर रोग आदि उत्पन्न हो जाते है | मूत्र की उत्पत्ति कम होने या पेशाब कम होने पर समस्त शरीर में एक प्रकार का विष फैलकर अनेक तरह के उपद्रव उत्पन्न कर देता है | जब तक यह विष पेशाब के साथ निकलता रहता है ,शरीर पर इसका बुरा प्रभाव नहीं होता है ,किन्तु शरीर में रुक जाने पर अनेक उपद्रव कर देता है | ऐसी दशा में चन्द्रप्रभा वटी से काफी लाभ होता है | साथ में लोध्रासव या पुनर्नवा आदि का भी प्रयोग करते है | चन्द्रप्रभा वटी का प्रभाव मूत्रपिण्ड पर होने की वजह से विकृति दूर हो जाती है तथा मूत्रल होने के कारण यह पेशाब भी साफ और खुलकर लाती है | 

पुराने सूजाक में भी इसका उपयोग किया जाता है | सूजाक पुराना होने पर जलन आदि तो नहीं होती ,किन्तु मवाद थोड़ी मात्रा में आता रहता है | यदि इसका विष रस रक्तादि धातुओं में प्रविष्ट हो उसके शरीर के ऊपरी भाग में प्रकट हो गया हो ,यथा शरीर में खुजली होना ,छोटी -छोटी फुंसिया हो जाना ,लिंगेन्द्रिय पर चट्टे पड़ जाना आदि ,तो ऐसी दशा में चन्द्रप्रभा वटी -चंदनासव के साथ देने से बहुत अच्छा लाभ करती है | यह रस -रक्तादि गत विषों को दूर कर धातुओं का शोधन करती तथा रक्त शोधन कर उससे होने वाले उपद्रव को शांत करती है | इसके सेवन से पेशाब शीघ्र खुलकर होने लगता है |  

अधिक मैथुन या जल्दी -जल्दी होने अथवा सूजाक ,उपदंश ,आदि रोगो से गर्भाशय कमजोर हो जाता है ,जिससे स्त्री की कान्ति नष्ट हो जाती है ,शरीर दुर्बल और रक्तहीन हो जाता है | भूख नहीं लगती है ,वातप्रकोप के कारण समूचे शरीर में दर्द होना ,कष्ट के साथ मासिक धर्म होना ,कभी -कभी 10 -12 तक बराबर होते रहना आदि कस्ट  होने पर  अशोक घृत के साथ प्रयोग करे  | 

अधिक शुक्र क्षरण हो जाने से (स्त्री -पुरुष )दोनों की शारीरिक कान्ति नष्ट हो जाती है | शरीर कमजोर हो जाना ,शरीर का रंग पीला पढ़ जाना थोड़े परिश्रम से हाफना ,आँखे नीचे धँस जाना ,भूख खुलकर नहीं लगना आदि विकार उत्पन्न हो जाते है | ऐसे समय में चन्द्रप्रभा का उपयोग करने से रक्तादि धातुओं की पुष्टि होती है | तथा वायु का भी शमन होता है | स्वपनदोष या अप्राकृतिक ढंग से छोटी आयु में वीर्य का दुरुपयोग करने से वातवाहिनी तथा शुक्रवाहिनी नाड़ी कमजोर होकर शुक्र धारण करने में असमर्थ हो जाती है | परिणाम यह होता है की स्त्री -प्रसंग के प्रारम्भकाल में ही पुरुष का शुक्र निकल जाता है | अथवा स्वपनदोष हो जाता है या किसी नवयुवती को देखने या उससे वार्तालाप करने मात्र से ही वीर्य निकल जाता है | ऐसी दशा में चन्द्रप्रभा वटी गुर्च के क्वाथ के साथ खाने से बहुत लाभ होता है | वात -पैत्तिक प्रमेह में इसका अच्छा असर पड़ता है | कभी -कभी प्यास अधिक लगना ,शरीर शक्तिहीन मालूम पड़ना आदि लक्षण उत्पन्न होते है | इस अवस्था में चन्द्रप्रभा वटी के प्रयोग से वायु शांत होकर इससे होने वाले उपद्रव भी शांत हो जाते है तथा प्रमेह -विकार भी दूर हो जाते है | 

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बैद्यनाथ चन्द्रप्रभा वटी के फायदे | chandraprabha vati benefits hindi | chandraprabha vati ke fayde in hindi 

  • वीर्य -विकारो के लिए 

अगर शरीर से जब भी हम मूत्र करते है | तो वीर्य निकल जाता है | ऐसी अवस्था में इस औषधि के प्रयोग से बहुत लाभ होता है | 

  • पेशाब में अगर अम्ल की मात्रा बढ़ गया हो | 

अगर पेशाब में अम्ल की मात्रा बढ़ गयी है | तो यह किडनी पर असर डालती है | इस औषधि के सेवन से अम्ल की मात्रा नियंत्रित होती है | और किडनी भी अच्छी तरह से काम करती है | 

  • घुटनो के दर्द से राहत 

इस औषधि के सेवन से घुटनो ,जोड़ो ,और पुराने सूजन से राहत देता है | 

  • शरीर मजबूत और बलवान होता है | 

चन्द्रप्रभा वटी के रोज सेवन करने से शरीर बलवान हो जाता है | यदि बार -बार शरीर में थकावट महसूस हो रहा है | ऐसी अवस्था में चन्द्रप्रभा वटी का नित्य सेवन करना चाहिए | 

  • वीर्यवर्धक (वीर्य को बढ़ाता )होता है | 

यह पुरुष और महिलाओ दोनों के वीर्य को बढ़ाता है | जिससे बच्चा पैदा पैदा करने में कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती है | यदि आपका वीर्य पतला है तो यह गाढ़ा करने में मदद करता है | 

  • स्वपनदोष से छुटकारा 

कुछ लोगो में अक्सर यह समस्या होती है कि वह जब सोता है | तब उसका वीर्य अचानक निकल जाता है | किसी कारणवश ऐसी समस्या है तो इसके सेवन से तुरंत आराम हो जाता है | 

  • डिप्रेशन को कम करता है | 

इसके प्रतिदिन सेवन करने से तनाव की समस्या खत्म हो जाती है | 

  • मूत्रविकार सम्बन्धी रोगो में | 

अगर मनुष्य का किडनी ख़राब है तो यह बहुत सारे रोग को जन्म देता है | मूत्रमार्ग में सूजन हो जाती है | पेशाब साफ नहीं होता है | ऐसी स्थिति में चन्द्रप्रभा वटी का सेवन करने से तुरंत लाभ होता है | 

चन्द्रप्रभा वटी के खुराक (मात्रा )

1 से 3 गोली सुबह -शाम दूध ,गुडूची ,क्वाथ ,दारुहल्दी का रस ,गोखरू ,क्वाथ या केवल मधु के साथ दे तुरंत लाभ होगा | 

Note -डॉक्टर के अनुसार ही दवा का प्रयोग करे | 

चन्द्रप्रभा वटी के साइड इफ़ेक्ट | chandraprabha vati side effects 

अगर इस दवा को डॉक्टर के परामर्श में उचित मात्रा में लिया जाय तो कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है | लेकिन अगर ज्यादे मात्रा में लेते है | तो कुछ दिक्कत हो सकती है | 

मूत्रमार्ग में जलन की समस्या | 

  • दस्त की समस्या | 
  • स्वाश सम्बन्धी रोग | 

Chandraprabha vati price 

  • पतंजलि चन्द्रप्रभा वटी का मूल्य | 

40 टेबलेट की प्राइस 43 रुपये है | 

  • डाबर चन्द्रप्रभा वटी मूल्य | 

40 tab का मूल्य 63 रुपये है | 

  • Vyas chandraprabha vati price 

100 टेबलेट का मूल्य 145 रुपये है | 

  • Unjha chandraprabha vati price 

40 tablet का मूल्य 65 रुपये है | 

  • Zandu chandraprabha vati price 

40 टेबलेट का मूल्य 63 रुपये है | 

इस दवा को कौन -कौन सी ब्रांड बनाती है | 

  • पतंजलि चन्द्रप्रभा वटी 
  • डाबर चन्द्रप्रभा वटी 
  • व्यास चन्द्रप्रभा वटी 
  • झंडु चन्द्रप्रभा वटी 
  • Unjha chandraprabha vati 

 

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